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आलपिन के सिर होता पर बाल नहीं होता है एक कुर्सी के टांगे हैं पर फुटबाल नहीं फेंक सकती है फेंक। कंघी के हैं दांत मगर वह चबा नहीं सकती खाना गला सुराही का है पतला किन्तु न गा सकती गाना। जूते के है जीभ मगर वह स्वाद नहीं चख सकता है आंखे रखते हुए नारियल कभी न कुछ लख सकता है। है मनुष्य के पास सभी कुछ ले सकता है सबसे काम इसीलिए सबसे बढ़कर वह पाता है दुनिया में नाम।...
गोपाल के गाल गोलम गोल लालम लाल रंग सुनहरा आंखें सुंदर घुंघराले से उसके बाल छोटा सा वो नटखट भोला करता कितने कई कमाल कभी फोड़ वो मटकी देता कभी हाथ ले बंसी लेता चोरी माखन की भी करता रोज़ मचाता कई धमाल प्यारा फिर भी मीत सभी का डरता जो वो उसकी ढाल गोलम गोल लालम लाल गोपाल के गाल। बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ Hindi poem for children
मुन्ना ने आले पर ऊंचे आले पर जब छोटे हाथ नहीं जा पाये खींच खींच कर अपनी छोटी चौकी ले आये। पंजों के बल उस पर चढ़कर एड़ी भी उचकाई। मुन्ना ने आले पर रक्खी शीशी तोड़ गिराई। हाथ पड़ा शीशी पर आधा खींचा उसे पकड़ कर वहीं गिरी वह आले पर से इधर उधर खड़बड़ कर। शीशी तोड़ी कांच बिखेरा सारी दवा बहाई। मुन्ना ने आले पर रक्खी शीशी तोड़ गिराई। पर कहते हैं शुभ होता है...
नट खट हम हां नटखट हम। करने निकले खट पट हम आ गये लड़के पा गये हम। बंदर देख लुभा गये हम बंदर को बिचकायें हम। बंदल दौड़ा भागे हम बच गये लड़के बच गये हम। बर्र का बांस उठाकर आ गये हम ऊधम लगे मचाने हम आ लड़कों पर टूट पड़े झटपट हट कर छिप गये हम। बच गये लड़के बच गये हम बिच्छू एक पकड़ लाये। उसे छिपाकर ले आये सबक जांचने भिड़े गुरू।...
ताती ताती तोता पिंजरे में सोता पंख जो हरे थे उड़न से भरे थे हो गये हैं पीले पड़ गये हैं ढीले ताती ताती तोता। ताती ताती तोता पिंजरो में रोता झांखते हैं प्यारे नन्हें नन्हें तारे कहते है तोता काहे को तू रोता अंधकार छोड़ दे पिंजरो को तोड़ दे उड़ते उड़ते सारी रात आके मिल जा अपने साथ छोटे भाई तोता प्यारा तू भी बन जा एक सितारा बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ...
टन टन टन गई साइकिल दन दन दन। नीली पीली काली लाल उड़ी साइकिल सन सन सन। कविता 2 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता Hindi poem for children first published by National Book Trust
वह देखो वह आता चूहा आंखों को चमकाता चूहा मूंछों में मुस्काता चूहा लम्बी पूंछ हिलाता चूहा। मक्खन रोटी खाता चूहा बिल्ली से डर जाता चूहा। बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ Hindi poem for children first published by National Book Trust
देखो लड़के बंदर आया। एक मदारी उसको लाया उसका है कुछ ढंग निराला। कानों में पहने है बाला फटे पुराने रंगबिरंगे। कपड़े हैं उसके बेढंगे मुंह डरावना आंखे छोटी। लंबी दुम थोड़ी सी मोटी भौंह कभी है वह मिटाता। आंखों को है कभी नचाता ऐसा कभी किलकिलाता है। मानो अभी काट खाता है दांतों को है कभी दिखाता। कूद फांद है कभी मचाता कभी घुड़कता है मुंह बाकर। सब लोगों को बहुत डराकर कभी छड़ी लेकर है चलता। कभी वह यों ही कभी मचलता...
हरे पेड़ की डाली। जामुन काली काली। मीठा है, रसवाली। जामुन काली काली लाठी लेकर महंगू। करता है रखवाली। जामुन काली काली। हरे पेड़ की डाली। कविता 6 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता Hindi poem for children first published by National Book Trust
सभा सभा का खेल आज हम खेलेंगे जीजी आओ। मैं गांधी जी छोटे नेहरू तुम सरोजिनी बन जाओ।। मेरा तो सब काम लंगोटी गमछे से चल जायेगा। छोटे भी खद्दर का कुर्ता पेटी से ले आयेगा।। लेकिन जीजी तुम्हें चाहिये एक बहुत बढ़िया सारी। वह तुम मां से ही ले लेना आज सभा होगी भारी।। मोहन लल्ली पुलिस बनेंगे हम भाषण करने वाले। वे लाठिया चलाने वाले हम घायल मरने वाले।। छोटे बोला देखो भैया...
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