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हरे हरे लाल लाल फूल। चलो भाई जल्दी, चलो स्कूल। छूट गईं पेंसिल कापी गई भूल जल्दी लो भाई, चलो स्कूल। कविता 4 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता Hindi poem for children first published by National Book Trust
छोटे छोटे पंख हैं मेरे कोमल हल्के प्यारे भी हैं देखे हैं जो मैंने सपने उसमें सूरज तारे भी हैं पर क्या बोझल इन्हें बनाकर मंजिल ऊंची चढ़ पाऊंगा शब्द सुनहरे पढ़े बिना ही राहें अपनी बढ़ पाऊंगा… बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ Hindi poem for children
हरी हरी भिंडी हरे हरे आम। हरी हरी धनिया खरे खरे दाम। कडुवा करेला अच्छा झमेला। लीची तरबूज। फीका पड़ा केला। कविता 7 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता First published by National Book Trust
नाना नानी। कहो कहानी वही पुरानी कौन नगर था कौन डगर थी कैसा राजा कैसी रानी नाना नानी कहो कहानी। कविता 10 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता First published by National Book Trust
बोला मुर्गा कुकडूं कूं कुकडू कूं कुकडू कूं बड़े सबेरे जाग पड़ूं चलते चलते मैं अकड़ूं कुकड़ूं कूं कुकड़ूं कूं कविता 8 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता First published by National Book Trust
यह है गुड़िया यह है गुड्डा यह है बु्ढ़िया यह है बुड्ढा। सोच रही हूं इक दिन गुड़िया हो जाएगी ऐसी बुढ़िया। हो जाएगा इक दिन बुड्ढ़ा मेरा प्यारा सा गुड्डा। गुड़िया बुढ़िया गुड्डा बुड्ढा। कविता 13 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता First published by National Book Trust
चूं चूं चूं चूं चूहा बोले म्याऊं म्याऊं बिल्ली ती ती कीरा बोले झीं झीं झीं झीं झिल्ली किट किट किट बिस्तुइया बोले किर किर किर गिलहैरी तुन तुन तुन इकतारा बोले पी पी पी पिपहैरी टन टन टन टन घंटी बोले ठन ठन ठन्न रूपैया बछड़ा देखे बां बां बोले तेरी प्यारी गइया ठनक ठनक कर तबला बोले डिम डिम डिम डिम डौंडी टेढ़ी मेढ़ी बातें बोले बाबाजी की लौंडी From Ayodhya Singh Upadhyaya ‘Hariaudh’....
तितली नन्हीं प्यारी तितली पीली नीली न्यारी तितली फूलों पर फूलों सी तितली तितली क्यारी क्यारी तितली अपने नन्हें पंख उठाए रंगों की इक लहर बनाए चुप चुप चुप उड़ती जाए खिली धूप में कितनी भाए। कविता 9 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता First published by National Book Trust
सर्दी आई, सर्दी आई ठंड की पहने वर्दी आई। सबने लादे ढेर से कपड़े चाहे दुबले, चाहे तगड़े। नाक सभी की लाल हो गई सुकड़ी सबकी चाल हो गई। टिठुर रहे हैं कांप रहे हैं दौड़ रहे हैं, हांप रहे हैं। सारे मौसम अच्छे [Illustrations by Nilima Sheikh] धूप में दौड़ें तो भी सर्दी छाओं में बैठें तो भी सर्दी। बिस्तर के अंदर भी सर्दी बिस्तर के बाहर भी सर्दी। बाहर सर्दी घर में सर्दी...
बसंत की हवा के साथ रंगती मन को मलती चेहरे पर हाथ ये होली लिए रंगों की टोली लाल गुलाबी बैंगनी हरी पीली ये नवरंगी तितली है। आज तो जाएगी घर घर दर दर ये मौज मनाएंगी भूल पुराने झगड़े सारे सबको गले लगाएगी पीली फूली सरसौं रानी Holi: Indian festival of colours बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ Hindi poem for children
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