आमों के अमरूद बन गये
अमरूदों के केले
मैंने यह सब कुछ देखा है
आज गया था मेले
बकरी थी बिलकुल छोटी सी
हाथी की थी बोली
मगर जुखाम नहीं सह पाई
खाई उसने गोली
छत पर होती थी खों खों खों
मगर नहीं था बंदर
बिल्ली ही यों बोल रही थी
परसो मेरी छत पर
गाय नहीं करती थी बां बां
बोली वह अंगरेजी
कहा बैल से, भूसा खालो
देखा भालो, ए जी
मुझको हुआ बड़ा ही अचरज
मुर्गा म्याऊं करता
हाथ जोड़कर बैठा
चुहे से था डरता
पर जब उगा रात में सूरज
चंदा दिन में आया
क्या होने को है दुनिया में
मैं काफी घबराया
तुरंत मूंद ली मैंने आंखें
और न फिर कुछ देखा
तभी लगा ज्यों जगा रही है
आकर मुझको रेखा
सपना देखा था अजीब सा
बिलकुल गड़बड़ झाला
सपनों की दुनियां में होता
सब कुछ बड़ा निराला।
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