सभा सभा का खेल आज हम
खेलेंगे जीजी आओ।
मैं गांधी जी छोटे नेहरू
तुम सरोजिनी बन जाओ।।
मेरा तो सब काम लंगोटी
गमछे से चल जायेगा।
छोटे भी खद्दर का कुर्ता
पेटी से ले आयेगा।।
लेकिन जीजी तुम्हें चाहिये
एक बहुत बढ़िया सारी।
वह तुम मां से ही ले लेना
आज सभा होगी भारी।।
मोहन लल्ली पुलिस बनेंगे
हम भाषण करने वाले।
वे लाठिया चलाने वाले
हम घायल मरने वाले।।
छोटे बोला देखो भैया
मैं तो मार न खाऊंगा।
कहा बड़े ने छोटे जब तुम
नेहरू जी बन जाओगे।
गांधी जी की बात मानकर
क्या तुम मार न खाओगे।।
खेल खेल में छोटे भैया
होगी झूठ मूठ की मार।
चोट न आयेगी नेहरू जी
अब तुम हो जाओ तैयार।।
हुई सभा प्रारम्भ कहा
गांधी चरखा चलवाओ।
नेहरू जी भी बोले भाई
खद्दर पहनो पहनाओ
उठ कर फिर देवी सरोजिनी
धीरे से बोलीं बहनों।
हिन्दू मुस्लिम मेल बढ़ाओ
सभी शुद्ध खद्दर पहनों।।
छोड़ो सभी विदेशी चीजे़
लो देशी सूई तागा।
इतने में लौटे काका जी
नेहरू सीट छोड़ भागा।।
काका आये काका आये
चलो सिनेमा जायेंगे।
घोरी दीक्षित को देखेंगे
केक मिठाई खायेंगे।।
जीजी चलो सभा फिर होगी
अभी सिनेमा है जाना।।
चलो चलें अब जरा देर को
घोरी दीक्षित बन जायें।
उछलें कूदें शोर मचावें
मोटर गाड़ी दौड़ावे।।

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बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ
Hindi poem for children first published by National Book Trust

225 words | 8 minutes
Readability:
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Filed under: hindi poems
Tags: #hindi poems for kids, #बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ

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