432 items in this section. Displaying page 41 of 44
एक पेड़ पर नदी किनारे, बन्दर मामा रहते थे। वर्षा गर्मी सर्दी उसी पेड़ पर रहते थे। भूख मिटाने को बगिया से चुन चुन फल खाया करते। य़ा छीन झपट बच्चों से ये चीजें ले आया करते। खा पी सेठ हुए मामा जी, झूम झूम इठलाते थे। और नदी के मगर मौसिया देख देख ललचाते थे। सोचा करते अगर कहीं मैं मोटूमल को पा जाऊं। बैठ किनारे रेत के ऊपर खूब मजे से खाऊं। एक नई तरकीब अचानक,...
आओ इस जंगल में आओ मत घबराओ मैं इस जंगल का एक पेड़ तुम्हें बुलाता हूं अपनी कथा सुनाता हूं आओ अपने साथियों से मिलवाता हूं आओ, छूकर देखो मेरा तना सीधा और मज़बूत और ऊपर मेरी पतली बल खाती शाखों को देखो देखो अनगिनत टहनियों को क्या पूछते हो मेरे दोस्त वो तो पिछले पतझड़ में गिर गए लेकिन जल्द ही फिर निकल आएंगे मेरी डालियों पर लद जाएंगे। मेरी जड़े नहीं दिखती तुम्हें...
देखो लड़के बंदर आया। एक मदारी उसको लाया उसका है कुछ ढंग निराला। कानों में पहने है बाला फटे पुराने रंगबिरंगे। कपड़े हैं उसके बेढंगे मुंह डरावना आंखे छोटी। लंबी दुम थोड़ी सी मोटी भौंह कभी है वह मिटाता। आंखों को है कभी नचाता ऐसा कभी किलकिलाता है। मानो अभी काट खाता है दांतों को है कभी दिखाता। कूद फांद है कभी मचाता कभी घुड़कता है मुंह बाकर। सब लोगों को बहुत डराकर कभी छड़ी लेकर है चलता। कभी वह यों ही कभी मचलता...
छोटे छोटे पंख हैं मेरे कोमल हल्के प्यारे भी हैं देखे हैं जो मैंने सपने उसमें सूरज तारे भी हैं पर क्या बोझल इन्हें बनाकर मंजिल ऊंची चढ़ पाऊंगा शब्द सुनहरे पढ़े बिना ही राहें अपनी बढ़ पाऊंगा… बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ Hindi poem for children
नाना नानी। कहो कहानी वही पुरानी कौन नगर था कौन डगर थी कैसा राजा कैसी रानी नाना नानी कहो कहानी। कविता 10 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता First published by National Book Trust
हरी हरी भिंडी हरे हरे आम। हरी हरी धनिया खरे खरे दाम। कडुवा करेला अच्छा झमेला। लीची तरबूज। फीका पड़ा केला। कविता 7 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता First published by National Book Trust
बसंत की हवा के साथ रंगती मन को मलती चेहरे पर हाथ ये होली लिए रंगों की टोली लाल गुलाबी बैंगनी हरी पीली ये नवरंगी तितली है। आज तो जाएगी घर घर दर दर ये मौज मनाएंगी भूल पुराने झगड़े सारे सबको गले लगाएगी पीली फूली सरसौं रानी Holi: Indian festival of colours बच्चों के लिए हिन्दी कविताएँ Hindi poem for children
तितली नन्हीं प्यारी तितली पीली नीली न्यारी तितली फूलों पर फूलों सी तितली तितली क्यारी क्यारी तितली अपने नन्हें पंख उठाए रंगों की इक लहर बनाए चुप चुप चुप उड़ती जाए खिली धूप में कितनी भाए। कविता 9 हक्का बक्का : बच्चों के लिए 15 हिन्दी कविता First published by National Book Trust
श्याम बनेगा शेरू अपना गीत बनेगा बन्दर शिल्पा बिल्ली दूध पीएगी बैठी घर के अन्दर बबलू भौं भौं करता पल पल धूम मचाएगा। मोटू अपना हाथी बनकर झूमे सूंड हिलाएगा होगी फिर इन सबकी मस्ती गाती होगी बस्ती खुश होगा हर एक जानवर खुशियां कितनी सस्ती हा हा ही ही मैं भी मैं भी लगा मुखौटा गाऊं तुम हाथी तुम शेर बने तो मैं भालू बन जाऊं आहा कितने हम जंगल के प्यारे प्यारे वासी...
आमों के अमरूद बन गये अमरूदों के केले मैंने यह सब कुछ देखा है आज गया था मेले बकरी थी बिलकुल छोटी सी हाथी की थी बोली मगर जुखाम नहीं सह पाई खाई उसने गोली छत पर होती थी खों खों खों मगर नहीं था बंदर बिल्ली ही यों बोल रही थी परसो मेरी छत पर गाय नहीं करती थी बां बां बोली वह अंगरेजी कहा बैल से, भूसा खालो देखा भालो, ए जी मुझको हुआ बड़ा ही अचरज...
Source: https://www.pitara.com/fiction-for-kids/
Pitara literally means ‘a chest full of surprises’. For 25 years (this website was started in 1998) we have been publishing original multi-cultural, multi-lingual and inclusive content to help kids explore, discover, learn, play, enjoy... All our content is copyright protected. If you wish to use our content ask us — some of the world's leading publishers regularly license our content.